THE SINGLE BEST STRATEGY TO USE FOR BHOOT KI KAHANI

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Bhoot ki kahani

स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय

par mujhe bloody merry mere sape me aker mili thi… vo mera khun mang rahi thi… or me kuch bhi nhi bol pa rha tha.. usne mere hath ki nas kat di or mera khoon pi liya or usne mujhe apne jaisa bna diya, fir me uske sath gayb hoker jangal uske ghar aa gya usne mujhe ksis bachhe ka khul diya or pine k liye kha… vo bachha mujhe jana pehchana lag rha tha.

रमेश ने यह बात फिर से किसी को नहीं बताई, लेकिन अब उसे प्लैटफॉर्म पर ड्यूटी करने से डर लग रहा था। अगली रात रमेश एक ही जगह खड़ा रहा। उसने स्टेशन का कोई चक्कर नहीं लगाया। कुछ देर बाद रमेश के पास एक आदमी आकर खड़ा हो गया और ट्रेन के बारे में जानकारी लेने लगा। रमेश को लगा कि कुछ गड़बड़ है।

ते लगाते उसकी कार ने उस औरत को टक्कर मार दी। वो औरत अपने बच्चे सहित लगभग बीस फीट ऊपर उछल गईं। और फिर जमीन पर गिरकर तड़पने लगी। वो भयानक दृश्य देखकर आकाश का पैर कांपने लगा। आकाश ने अचानक से ब्रेक ...

यह घटना चार-पांच दिन तक मेरे साथ होती रही। तो मैंने छठे दिन जब सवेरे मेरे मित्र लोग स्कूल में पढ़ाने आए । तब मैंने यह बात सबको बताई । सब ने बोला हां मैंने भी सुना है ।

लेखक – अजीत मिश्रा बात कुछ वर्ष पहले की हैं, मुझे नागपुर जाना पड़ा, मेरी बुआ के बड़ी बेटी की शादी थी, शादी का पूरा […]

सब ने बोला चलो गांव वालों को बताते हैं। हमने बोला नहीं बच्चों के भविष्य का सवाल है । कोई अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं भेजेगा तभी एक मित्र ने बोला चलो कल से जहां पर यह जलाया गया था । वहां पर बीड़ी माचिस ताश के पत्ते रख देते हैं ।

जैसा अघोरी ने बताया औरत ने वैसे ही किया अघोरी ने पूजा पाठ संपन्न करने के बाद एक लोटा पानी । लाल सिंह के चारों तरफ घुमा कर पी लिया और चले गए। लाल सिंह दिन प्रतिदिन सही होने लगे .

थोड़ी दूर और चलने के बाद उसने मुझसे मेरा नाम पता और क्या करते हैं पूछा , मैं उसको बताने लगा की मेरा नाम हारिस हसन है और मैं एक टीचर हूँ और सब बात बताते हुए मैं अपनी धुन में बाइक को तेज़ गति से दौड़ा रहा रहा था । रस्ते मैं पहाड़ के पास अचानक मैं देखता हूँ की जिस औरत से मैं बात कर रहा हूँ वो मेरे बात का कोई जवाब नहीं दे रही है , फिर मैं जब पीछे मुड़कर उस औरत के तरफ देखा तो देखता हूँ की वो औरत वहां है ही नहीं। गायब हो गई ।

दिन जंगल हो या . शमशान हो या फिर कोई कब्रिस्तान हो । वो जानबूझकर वहां पर घूमते रहते थे ।

उस आदमी का चेहरा ही गायब था। रमेश वहां से भागकर वेटिंग रूम में आ गया। उसने जो देखा था, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ। वह फिर से कुछ देर बाद उसी जगह पर चेक करने गया तो उसने देखा कि वहां कोई भी नहीं था। बस उसका शॉल गिरा हुआ है।

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वह एक रात ड्यूटी कर ही रहा था कि तभी उसने देखा कि घड़ी में दो बज गए थे। सारा प्लैटफॉर्म खाली था। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। गार्ड ने देखा कि वहां कोई नहीं था। वह प्लैटफॉर्म के चक्कर काटने लगा कि तभी उसे परछाई दूर जाती हुई दिखाई दी। वह परछाई एक शरीर में बदल गई और उस गार्ड के पास जाकर खड़ी हो गई। गार्ड ने पीछे मुड़कर देखा और उसके सामने रमेश खड़ा था।

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